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लेखनी कहानी -05-Feb-2023 एक अनोखी प्रेम कहानी

भाग ११


भाग : 11 
सपना जब शिव के कमरे में थी तब शिव को बाहर किसी के कदमों की आहट सुनाई दे गई थी । उसने चुपके से बाहर की ओर देखा तो गीता जी को उधर ही आते देखकर शिव खतरा भांप गया । उसने सपना को सतर्क कर दिया और धीरे से कहा 
"सपना, मम्मी इधर ही आ रही हैं । बचने का अब एक ही विकल्प है कि मैं चुपके से पीछे का दरवाजा खोल देता हूं तुम चुपके से पीछे निकल जाना । जब मम्मी मेरे कमरे में आ जायेंगी तब मैं उन्हें बातों में लगा लूंगा और तुम चुपके से नीचे चली जाना । बाकी नीचे तुम संभाल लेना । ठीक है" ? 
"ठीक है" सपना ने धीरे से कहा और वह पिछले दरवाजे से बाहर चली गई । 

गीता देवी जब शिव के कमरे में आईं तब सपना वहां से जा चुकी थी । इससे सपना ने चैन की सांस ली । आज तो वह बाल बाल बच गई । उसे शिव की बुद्धिमानी ने बचा लिया था । शिव ऊपर से दोनों मां बेटी की बातें सुन रहा था और सपना की बातों पर मन ही मन मुस्कुरा रहा था । सपना किस तरह अपनी सहेली का "कीमा" बना रही थी यह देखकर उसे बहुत सुकून मिला । सपना भी बातें बनाने में माहिर थी यह बात सपना की बातों से सिद्ध हो चुकी थी । सपना एक के बाद एक झूठ बोले जा रही थी । शिव को लगा कि कहीं ज्यादा झूठ बोलकर वह मुश्किल में न पड़ जाये इसलिए वह उसे बचाने नीचे चला आया 
"मां जी, सपना जी मिली या नहीं" ? शिव ने सपना की उपस्थिति को नकारते हुए पूछा 
"मिल गई बेटा । बाथरूम में थी । तुमने सही कहा था कि सपना बाथरूम में हो सकती है । ये यहीं पर थी और मैं दुनिया भर में ढूंढ रही थी । मैं तो चिंता में मरी जा रही थी और ये महारानी जी यहां मजे से बैठी थीं" गीता जी सपना पर तनिक क्रोधित होते हुए बोलीं 
"आजकल की लड़कियां बहुत लापरवाह होती हैं मां जी, मां बाप की चिन्ताओं की कुछ भी परवाह नहीं होती है इन्हें । ये तो बस अपनी मस्ती में मस्त रहती हैं । मां बाप चाहे परेशान होते रहें" शिव ने सपना की ओर कुटिल मुस्कान से देखते हुए कहा । 
सपना शिव की बातों से अचंभित रह गई । उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि शिव उसके साथ ऐसा करेगा । उसने गुस्से से शिव की ओर देखा जैसे उसे कच्चा चबा जायेगी । गुस्से से उसका हुस्न और निखर गया था । शिव को उसे छेड़ने में और मजा आने लगा 
"मजे की बात ये है मां जी कि इन्हें जरा भी कुछ कह दो तो मुंह फुलाकर बैठ जाती हैं महारानी की तरह से" आग में घी डाल दिया था शिव ने । अब सपना से सहन नहीं हुआ । वह कहने लगी 
"क्यों भड़का रहे हो मम्मी को ? क्या मिलेगा इससे आपको" ? 
"मैं कौन होता हूं मां जी को भड़काने वाला ? मां जी तो खुद समझदार हैं । देखती नहीं कितनी परेशान हैं वे" ? एक तीर से दो शिकार करते हुए शिव बोला 
"अरे बेटा, आजकल की लड़कियों के नखरे ही बहुत हैं । ये सपना ही बता रही थी कि इसकी सहेली के दो दो ब्वॉय फ्रेंड हैं" 
"मम्मी ! आपको मना किया था न बताने के लिए और आप चालू भी हो गईं ? मैं ही पागल हूं जो आपको बता दिया । और ऐ मिस्टर ! हम मां बेटी के बीच में बोलने वाले आप कौन होते हैं" ? सपना भी अब इस खेल में शामिल हो गई थी । शिव कुछ कहता उससे पहले गीता जी बोल पड़ी 
"मुझे माफ करना सपना , मैं खुद पर काबू नहीं रख सकी थी । पर मैं भी क्या करूं , एक लड़की के दो दो ब्वॉय फ्रेंड की बात सुनकर मुझसे रहा नहीं गया" । गीता जी शिव की ओर मुड़कर कहने लगी "क्या ऐसा हो सकता है, बेटा" ? 

अब शिव को और मौका मिल गया था सपना को छेड़ने का , इसलिए वह बोला "लड़कियां का तो मुझे मालूम नहीं है मां जी, क्योंकि मेरी मित्र मंडली में कोई भी महिला मित्र नहीं है । हां, मेरे कुछ दोस्त हैं जिनकी दो दो गर्लफ्रेंड हैं । बस, उन्हीं से बतियाने में लगे रहते हैं वे" । एक तिरछी नजर सपना पर डालकर शिव मुस्कुराया । 
"मम्मी इनसे पूछो कि इनकी कितनी गर्लफ्रेंड हैं । हो सकता है दो से भी ज्यादा हों" ? सपना की आंखें शिव को घूर रही थी 
"एक कहावत है मां जी कि चोर को सारी दुनिया चोर नजर आती है । आप समझदार महिला हैं , अच्छी तरह से जानती हैं इस कहावत को । मैं सपना जी के बारे में नहीं जानता कि इनके कितने ब्वॉय फ्रेंड हैं" ? नहले पर दहला चलते हुए कहा शिव ने । 

सपना शिव की इस बात से बेहद नाराज हो गई और बोली " आप कौन होते हैं पूछने वाले ? मेरे तो दस ब्वॉय फ्रेंड हैं बोलो , आपसे कोई मतलब" ? उसका चेहरा तमतमा गया था 
"मैंने कहा था ना मां जी कि दाल में कुछ गड़बड़ है । पर यहां तो सारी दाल ही काली निकली" शिव हंसते हुए बोला । 
शिव को हंसते देखकर सपना का खून खौल गया और वह बोल उठी "अपने टीन टप्पर उठाओ और यहां से चलते बनो, ढोंगी बाबा । मम्मी जैसी भोली भाली औरतों को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हो । ढोंगी कहीं के" । सपना गुस्से में अनाप शनाप कहकर अपने कमरे में चली गई । शिव को बहुत बुरा लगा । वह जाने की तैयारी करने लगा पर गीता जी ने उसे रोक लिया और कहा 
"बेटा, सपना की बात का बुरा मत मानना । वह गुस्से में ऐसा बोल गई है । वैसे वह तुम्हारी हरदम प्रशंसा करती है मगर आज पता नहीं क्यों वह इतना गुस्सा हो गई है । उसका गुस्सा दूध के उबाल की तरह होता है । एक पल में ही नीचे बैठ जाता है । कोई बात नहीं है बेटा, तुम अभी आराम करो । मैं सपना को मना लूंगी" । 

शिव अपने कमरे में चला आया । उसे पड़ौस की छत पर किसी साये के लहराने का सा आभास हुआ । एक दिन पहले भी उसे ऐसा आभास हुआ था जैसे कि दो आंखें उसका पीछा कर रही हो । उसने पड़ौस की छत पर देखा तो उसे अंधेरे के सिवाय और कुछ दिखाई नहीं दिया । 
"कोई तो था वहां पर मगर कौन था ये पता नहीं है" शिव सोचने लगा । उसने अपने कमरे की लाइट बंद कर दी और चुपके से पड़ौस की छत की टोह लेने लगा । 

काफी देर तक कहीं से कोई हलचल सुनाई नहीं दी मगर शिव ने अपना धैर्य बरकरार रखा और दम साधे टोह लेता रहा । उसे बहुत हलकी हलकी आवाज सुनाई देने लगी । शायद यह आवाज पाजेब की थी जो किसी महिला के चलने पर हो रही थी । यद्यपि वह महिला काफी संभल संभल कर कदम रख रही थी फिर भी बहुत हलकी हलकी आवाज आ रही थी । शिव ने अपना सारा ध्यान उधर ही लगा दिया । उसने जाली वाले दरवाजे से उधर देखा तो एक महिला आकृति दिखाई दी । वह आकृति इधर ही आती दिखाई दे रही थी । पड़ौस की दीवार इस मकान से लगती हुई थी । शिव ने देखा कि एक औरत उस दीवार पर बैठकर इधर कोई टोह ले रही थी । वह औरत गीता जी के मकान की छत पर आ गई और शिव के कमरे की ओर आने लगी । शिव तुरंत अपने बिस्तर पर लेट गया और आंखें बंद करके उधर की टोह लेने लगा । 

वह औरत शिव के कमरे के दरवाजे के समीप आई और वहीं से अंदर देखने लगी । शिव को सोता देखकर वह ठिठकी और वहीं खड़ी रही । शिव भी दम साधे लेटा रहा और कभी कभी आंखें खोलकर उधर देख लेता था । वह औरत दरवाजा खोलकर अंदर आ गई और सीधा शिव के नजदीक आ गई । फिर उसने अपने मोबाइल की टॉर्च जलाई और शिव को देखने लगी । शिव सोने का बहाना किये हुए लेटा रहा । उसने पूरे कमरे का मुआयना किया और टॉर्च बंद कर दी । उसने शिव को छूने के लिए हाथ आगे बढाया मगर उसे छुआ नहीं । फिर अपना हाथ हटा लिया और धीरे धीरे सधे कदमों से वापस चली गई । 

शिव के दिमाग में अनेक प्रश्न घूमने लगे । कौन है ये औरत और यहां क्यों आई थी ? कमरे में वह क्या तलाश करने आई थी ? शिव के कुछ समझ में नहीं आया । वह सोच में पड़ गया । 

सुबह शिव जल्दी जाग गया और फ्रेश होकर छत पर आ गया । छत पर अभी थोड़ा अंधेरा था । शिव व्यायाम करने लगा । उसने केवल धोती पहनी थी और वह विभिन्न योग , आसन , प्रणायाम करने लगा । सभी आसन करने में उसे लगभग एक घंटा लगा होगा । अब उजाला आ गया था और सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था । 

शिव को अपने कमरे के पीछे वाले मकान की छत पर दो युवती घूमती हुई दिखाई दीं जो बार बार उसे देखे जा रही थीं । शिव ने एक उचटती सी निगाह उन दोनों लड़कियों पर डाली और अपना काम करने में लगा रहा । शिव ने महसूस किया कि उन दोनों लड़कियों का पूरा ध्यान उसी की ओर था लेकिन वे उसे जाहिर नहीं होने देना चाहती थीं । शिव भी अपने कमरे में आ गया और नहाने की तैयारी करने लगा । इतने में गीता जी उसके लिए चाय ले आई 
"आपने क्यों कष्ट किया मां जी, मैं ले आता" ? 
"अपने बच्चों का काम करने में मां को कष्ट नहीं बल्कि खुशी महसूस होती है" 
"सपना जी अभी भी नाराज हैं क्या मुझसे" ? 
"पता नहीं । उसने तुम्हारे लिए चाय खुद बनाई । जब मैंने उसे कहा कि खुद दे आ तो उसने मुझे पकड़ा दी और खुद अपने कमरे में चली गई । इससे ऐसा लगता है कि वह स्वयं से नाराज है" 
"स्वयं से क्यों नाराज होंगी" ? 
"कल तुम्हें जाने को कह दिया था न , शायद अब अपनी गलती का अहसास हुआ हो" 

शिव ने चाय समाप्त की और खाली कप प्लेट लेकर गीता जी चली गई । 

शेष अगले अंक में 

श्री हरि 
2.3.23 

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3 Comments

Sushi saxena

14-Mar-2023 08:42 PM

बहुत खूब

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Sant kumar sarthi

06-Mar-2023 12:40 PM

बेहतरीन भाग

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अदिति झा

02-Mar-2023 08:42 PM

Nice part 👌

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